तीज व्रत कथा (Teej Vrat Katha)
तीज व्रत (Teej Vrat), जिसे विशेष रूप से महिलाएँ बड़े श्रद्धा भाव से मनाती हैं, सावन माह की तीसरी तिथि को किया जाता है। इस दिन महिलाएं दिनभर उपवासी रहकर, भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं। इस व्रत का मुख्य उद्देश्य पति की लंबी उम्र और सुखी दांपत्य जीवन की कामना करना होता है।
तीज व्रत कथा (Teej Vrat Katha):
प्राचीन काल में एक राजा और रानी थे, जिनके संतान नहीं थी। वे भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा में बहुत विश्वास रखते थे। एक दिन, राजा और रानी ने संतान सुख प्राप्ति के लिए तीज का व्रत करने का निश्चय किया।
रानी ने पूरे मन से व्रत किया और दिनभर उपवासी रहकर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की। रात को जब उन्होंने भगवान शिव की आरती की, तो उनकी भक्ति और श्रद्धा देखकर भगवान शिव ने रानी से कहा, “तुम्हारी भक्ति और समर्पण ने मुझे प्रभावित किया है। मैं तुम्हारी संतान सुख की कामना पूरी करूंगा।”
इसके बाद रानी ने एक पुत्र को जन्म दिया, और राजा-रानी ने अपने संतान सुख के लिए भगवान शिव और माता पार्वती का धन्यवाद किया। इस तरह, तीज व्रत की कथा का महत्व और उसकी कहानी का प्रचार हुआ।
इस कथा के माध्यम से यह सिखाया जाता है कि भगवान शिव और माता पार्वती की भक्ति और सच्ची श्रद्धा से जीवन की हर समस्या का समाधान मिल सकता है। इस दिन व्रति महिलाएं व्रत रखकर, उपवासी रहकर और पूजा-अर्चना करके अपने पति के सुख, शांति और समृद्धि की कामना करती हैं।
अस्वीकृति (Disclaimer):
यह लेख तीज व्रत की कथा (Teej vrat katha in hindi) और उसके धार्मिक महत्व पर आधारित है, जिसे सांस्कृतिक और धार्मिक संदर्भ में प्रस्तुत किया गया है। इस पोस्ट में दी गई जानकारी विभिन्न धार्मिक मान्यताओं और परंपराओं पर आधारित है और इसका उद्देश्य केवल धार्मिक शिक्षा और जानकारी प्रदान करना है।
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